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Mahabharat: भगवान श्रीकृष्ण की थीं आठ पत्नियां और 80 पुत्र, जानें सभी के नाम

Mahabharat: भगवान श्रीकृष्ण की थीं आठ पत्नियां और 80 पुत्र, जानें सभी के नाम

महाभारत की कथा भगवान श्रीकृष्ण के बिना अधूरी है. भगवान श्रीकृष्ण ही महाभारत के केंद्र में है. इसीलिए वे महाभारत के सबसे मजबूत पात्र बनकर उभरते हैं. भगवान श्रीकृष्ण की कितनी रानियां थीं, इन रानियों से कितने पुत्र थे. इन सभी प्रश्नों का उत्तर आइए जानते हैं.

Mahabharat: भगवान श्रीकृष्ण की थीं आठ पत्नियां और 80 पुत्र, जानें सभी के नाम

Mahabharat Katha: महाभारत युद्ध 18 दिनों तक चला. महाभारत का युद्ध बहुत भयंकर युद्ध जिसमें लाखों लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. इस युद्ध में कौरवों का वंश नष्ट हो गया. धृतराष्ट्र और गांधारी को जीते जी वनवास के लिए जाना पड़ा. महाभारत का युद्ध जब समाप्त हो गया तो गांधारी अपने पुत्रों के शव पर विलाप कर रही थीं, तभी वहां पर भगवान श्रीकृष्ण भी शोक संवेदना व्यक्त करने पहुंच जाते हैं. लेकिन गांधारी श्रीकृष्ण को देखकर क्रोधिध हो उठती हैं और श्रीकृष्ण पर महाभारत के युद्ध का दोष रख देती हैं, वे कहती है कि श्रीकृष्ण यदि तुम चाहते तो यह युद्ध रोका जा सकता था.

नाराज होकर गांधारी श्रीकृष्ण को श्राप देते हुए कहती हैं कि श्रीकष्ण जिस प्रकार से कौरव आपस में लड़ लड़कर मरे हैं उसी प्रकार तुम्हारा वंश नष्ट होगा. श्रीकृष्ण बड़ी सहजता से इस श्राप को ग्रहण करते हुए कहते हैं कि देवी यदि ऐसा होने से आपको संतुष्टि मिलती है तो आपका श्राप व्यर्थ नहीं जाएगा.


श्रीकृष्ण वहां से विदा लेते हैं. युद्ध समाप्त होने के बाद श्रीकृष्ण द्वारिका आकर रहने लगते हैं. जहां वे रुक्मिणी के साथ रहने लगते हैं. लेकिन भगवान श्रीकृष्ण की रुक्मिणी ही एक मात्र पत्नी नहीं थीं. उनकी 8 अन्य पत्निया भी थीं.



भगवान श्रीकृष्ण की आठ पत्नियां

आठ पत्नियां होने के कारण ही इन्हें अष्टा भार्या भी कहा जाता है. इनके नाम इस प्रकार है-

1- रुक्मिणी

2- जाम्बवन्ती

3- सत्यभामा

4- कालिन्दी

5- मित्रबिन्दा

6- सत्या

7- भद्रा

8- लक्ष्मणा



भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र

भगवान श्रीकृष्ण के 80 पुत्र थे. किस रानी ने किस पुत्र को जन्म दिया. प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू रुक्मिणी के पुत्र थे. साम्ब, सुमित्र, पुरुजित, शतजित, सहस्त्रजित, विजय, चित्रकेतु, वसुमान, द्रविड़ और क्रतु जाम्बवती के पुत्र थे. भानु, सुभानु, स्वरभानु, प्रभानु, भानुमान, चंद्रभानु, वृहद्भानु, अतिभानु, श्रीभानु और प्रतिभानु, सत्यभामा के पुत्र थे.



श्रुत, कवि, वृष, वीर, सुबाहु, भद्र, शांति, दर्श, पूर्णमास और सोमक, कालिंदी के पुत्र थे. वहीं वृक, हर्ष, अनिल, गृध्र, वर्धन, अन्नाद, महांस, पावन, वह्नि और क्षुधि, मित्रविन्दा के पुत्र कहलाए. जबकि प्रघोष, गात्रवान, सिंह, बल, प्रबल, ऊध्र्वग, महाशक्ति, सह, ओज और अपराजित, लक्ष्मणा की गर्भ से जन्मे थे. वीर, चन्द्र, अश्वसेन, चित्रगुप्त, वेगवान, वृष, आम, शंकु, वसु और कुंति, सत्या के पुत्र कहलाए और संग्रामजित, वृहत्सेन, शूर, प्रहरण, अरिजित, जय, सुभद्र, वाम, आयु और सत्यक,भद्रा के पुत्र थे.


 
 
 

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